उधार की लालटेन प्रेरक कहानी

Written by-आर के चौधरी

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उधार की लालटेन

मित्रों जापान में बहुत समय पहले बांस और कागज की बनी लालटेन जिसके भीतर मोमबत्ती होती थी बहुतायत उपयोग में लाई जाती थी | एक रात एक अंधा व्यक्ति अपने एक मित्र से मिलने गया जब वह घर लौटने लगा तो उसके दोस्त ने उसे एक लालटेन दी, ताकि उसे रास्ते में कोई परेशानी ना होने पाए|

“अंधकार या प्रकाश सब मेरे लिए एक समान है मुझे लालटेन की आवश्यकता नहीं “-उस अंधे व्यक्ति ने कहा.
तो इस पर उसके मित्र ने कहा मैं जानता हूं कि रास्ता देखने के लिए तुम्हें लालटेन की आवश्यकता नहीं ; मैं तुम्हें लालटेन इसलिए दे रहा हूं ताकि दूसरे राहगीर को तुम आसानी से नजर आ सको ,और वह तुम से टकराने ना पाए इसके साथ ही तुम आसानी से घर भी पहुंच जाओगे.

दोस्तों वह व्यक्ति लालटेन लेकर के वहां से चल पड़ा अभी वह थोड़ी दूर चला ही था एक व्यक्ति उस से आकर टकरा गया . “देखो तो तुम कहां आ रहे हो ?यह लालटेन तुम्हें दिखाई नहीं पड़ रही है जो मुझसे आकर टकरा गए हो! “
– इस अंधे व्यक्ति ने अजनबी राहगीर पर चिल्लाते हुए यह प्रश्न किया .
उस अपरिचित व्यक्ति ने शांत स्वर में कहा-” भाई साहब आपके लालटेन की मोमबत्ती बुझ चुकी है ”

मित्रों हमारे जीवन में किस्से ,कई सारे हिस्से ऐसे ही आते हैं जहां हम उधार की लालटेन लेकर जिसके बारे में हमें कुछ भी पता नहीं होता अपना सफर तय करने निकल पड़ते हैं और जब जब तक हमें कोई दूसरा ठोक कर के सावधान करता है सचेत करता है तब तक तो नदियों में बहुत सारा पानी बह गया होता है ,और फिर हम अपने आप को सचेत उस स्तर पर नहीं कर पाते. 

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